हम सभी कभी न कभी शरारत में या मजाक करते हुए एक दूसरे को चिकोटी काट चुके होते हैं। यह आमतौर पर बच्चों के बीच होता है, लेकिन कभी-कभी बड़े भी मस्ती में इसे करते हैं। जब भी कोई हमें तेज़ी से चिकोटी काटता है, तो एक तीव्र दर्द का एहसास होता है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि जब आप अपनी कोहनी या घुटने को खुद से या किसी और से चिकोटी काटते हैं, तो आपको दर्द का अनुभव नहीं होता? यही नहीं, ऐसा अक्सर देखा गया है कि कोहनी पर चिकोटी काटने से कोई खास दर्द नहीं होता। फिर ऐसा क्यों होता है? क्या आपने कभी इस रहस्य के बारे में सोचा है?
हमारा शरीर इतना जटिल और रहस्यमय है कि जब हम उसकी संरचना और कार्यप्रणाली को समझते हैं, तो हम यह महसूस करते हैं कि हमारे शरीर का डिज़ाइन वास्तव में किसी अद्भुत निर्माता का काम है। इंसान के शरीर में हर अंग की विशेष संरचना होती है, और ये अंग हमें कई तरह से सुरक्षा और सहूलियत प्रदान करते हैं। कुछ अंगों का डिजाइन ऐसा होता है कि वे चोट से बचने में मदद करते हैं, जबकि कुछ हिस्से दर्द और चोट के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। कोहनी भी एक ऐसा अंग है, जिसकी संरचना कुछ अलग तरह से बनी है, जो इसे अन्य शरीर के हिस्सों से अलग बनाती है।
कोहनी पर चिकोटी काटने से दर्द क्यों नहीं होता?
अगर हम सामान्यतः शरीर के अंगों की संरचना की बात करें तो हर हिस्से में नसों और तंत्रिकाओं (nerves) की विशेष भूमिका होती है। इंसानी शरीर की कुछ जगहों पर नसें ज्यादा होती हैं, जबकि कुछ जगहों पर नसों की संख्या कम होती है। इन नसों का कार्य शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द, तापमान, और दबाव का संचार करना होता है। कोहनी पर जब चिकोटी काटी जाती है, तो वहां विशेष रूप से कोई तीव्र दर्द महसूस क्यों नहीं होता, यह समझने के लिए हमें कोहनी की संरचना और तंत्रिका तंत्र को समझना होगा।
कोहनी के आसपास की त्वचा बहुत पतली होती है और इसमें वसा (fat) की मात्रा बहुत कम होती है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोहनी की त्वचा में नर्व एंडिंग्स (nerve endings) की संख्या बहुत कम होती है। नर्व एंडिंग्स वह संरचनाएं होती हैं जो हमारे शरीर को बाहरी उत्तेजनाओं जैसे दबाव, तापमान, और दर्द का अनुभव कराती हैं। सरल शब्दों में कहें तो कोहनी की त्वचा पर नसों का प्रभाव कम होता है, और इस कारण वहां चिकोटी काटने पर दर्द का अनुभव भी कम होता है।
इसके अलावा, कोहनी की त्वचा काफी सख्त होती है, जो शरीर को चोट से बचाने में सहायक होती है। यही कारण है कि हमें कोहनी पर चिकोटी काटने से ज्यादा दर्द नहीं होता, क्योंकि यहां पर दर्द के रिसेप्टर (pain receptors) भी कम होते हैं। शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में जहां हमें चोट लगने की ज्यादा संभावना होती है, वहां ज्यादा नर्व एंडिंग्स होती हैं और वे हिस्से ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
कोहनी में करंट क्यों लगता है?
अब एक और दिलचस्प पहलू पर गौर करते हैं, जो हम सभी ने कभी न कभी अनुभव किया है—कोहनी में करंट जैसा महसूस होना। आपने अक्सर देखा होगा कि जब आप गलती से अपनी कोहनी को किसी सख्त चीज से टकरा लेते हैं, तो आपको एक करंट जैसा अनुभव होता है। कई लोग इसे ‘फनी बोन’ का झटका भी कहते हैं। क्या आप जानते हैं कि यह अनुभव क्यों होता है?
इसका कारण एक विशेष तंत्रिका (nerve) है जिसे अल्नर नर्व (ulnar nerve) कहते हैं। अल्नर नर्व को ‘फनी बोन’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह करंट जैसा एहसास पैदा करता है, जो असल में तंत्रिका के दबने का नतीजा होता है। यह नर्व गर्दन से शुरू होकर हाथ की ऊंगलियों तक जाती है। जब आप अपनी कोहनी को किसी सख्त वस्तु से टकराते हैं, तो यह नर्व दबती है और यह दबाव तंत्रिका को एक तरह का करंट जैसा संकेत भेजता है, जिससे मस्तिष्क को झटका सा महसूस होता है। यह एहसास दरअसल तंत्रिका के दबने की वजह से होता है, जो कि शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में ज्यादा संवेदनशील होता है।
फनी बोन का नाम क्यों पड़ा?
अल्नर नर्व को ‘फनी बोन’ कहा जाता है, और इसके पीछे एक दिलचस्प वजह है। जब आप गलती से अपनी कोहनी को किसी सख्त चीज से टकराते हैं, तो आपको जो करंट जैसा अनुभव होता है, वह असल में ‘फनी’ होता है, क्योंकि यह एक तरह का नकली झटका होता है। जब आप इसे महसूस करते हैं, तो आपको ऐसा महसूस होता है जैसे किसी ने आपको करंट लगा दिया हो, लेकिन असल में यह तंत्रिका का दबना होता है। यह तंत्रिका शरीर के ऊपरी हिस्से से लेकर उंगलियों तक जाती है, और जब कोहनी के पास स्थित क्यूबिटल टनल में यह तंत्रिका दबती है, तो यह असामान्य संवेदनाएं पैदा करती है।
क्यूबिटल टनल क्या है?
कोहनी के पास एक विशेष संरचना होती है जिसे क्यूबिटल टनल (cubital tunnel) कहा जाता है। यह वह जगह है जहां अल्नर नर्व अपनी यात्रा के दौरान सबसे कमजोर होती है। क्यूबिटल टनल के ऊपर केवल त्वचा और थोड़ा सा फैट (fat) होता है, जबकि बाकी तंत्रिका मांसपेशियों द्वारा ढकी होती है। जब आप कोहनी को किसी सख्त सतह से टकराते हैं, तो यह नर्व इस टनल में दब जाती है, जिससे हमें करंट जैसा अनुभव होता है।
क्यों होती है यह प्रतिक्रिया?
यह प्रतिक्रिया हमारे शरीर की सुरक्षा के लिए है। जब यह नर्व दबती है, तो मस्तिष्क को संकेत मिलता है कि यह एक असामान्य और दर्दनाक स्थिति है, और तुरंत प्रतिक्रिया के तौर पर शरीर उस हिस्से को हटा लेता है। यह एक प्रकार का स्वचालित सुरक्षा तंत्र होता है, जो शरीर को चोट से बचाता है। हालांकि यह प्रतिक्रिया थोड़ी असहज होती है, लेकिन यह तंत्रिका की स्थिति को दिखाती है, जो हमारे शरीर के संरचनात्मक डिज़ाइन का एक अहम हिस्सा है।
निष्कर्ष
तो, जब आप अगली बार कोहनी पर चिकोटी काटने का विचार करें या गलती से कोहनी को किसी सख्त चीज से टकरा लें, तो आपको पता होगा कि इसका कारण क्या है। शरीर के हर हिस्से की अपनी संरचना और कार्यप्रणाली होती है, जो हमारे जीवन को सरल और सुरक्षित बनाती है। शरीर के इन रहस्यों को समझना न केवल दिलचस्प है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि प्रकृति ने हमें कितनी अद्भुत तरीके से डिजाइन किया है।
इसलिए अगली बार जब आप कोहनी को टकराएं और करंट जैसा अनुभव हो, तो समझ जाइए कि यह सिर्फ आपके शरीर का एक स्वाभाविक और सुरक्षा-प्रेरित प्रतिक्रिया है, जो आपको किसी प्रकार की चोट से बचाती है।